कल का मौसम
कल का मौसम जाने क्या होगा
महफ़िल में कारनामा तेरे हबीब का
कर गया गुनाह वो ज़ालिम रहा
जो दिखता था शरीफ़ सा…
समझ आया नहीं, न समझाया गया
बेफिजूल की बातों से उलझाया गया
बेसब्र रहा बेहया बदतमीज वो सब
गुनाहगार हो गया वो खुश मिजाज सा…
मिलती नहीं तसल्ली दिल को,मौसम बदलने लगा है
कल की क्या बातें करें, वक्त भी अब चाल बदलने लगा है।।
मौसम कल का जो होगा,कल देखा जाएगा
जो होगा मेरा वो लौट कर जरुर आएगा।।
कल का मौसम बदलने वाला है तेरे प्यार में
चली मोहब्बत की एक हवा, सिर्फ तेरी याद में।।
कल का मौसम रंगीन बनाएंगे हम
जाम मोहब्बत का होंठों से लगाएंगे हम।।
कभी फुर्सत हो तो मिलने जरूर आना
तड़प है मिलने की, ढूंढ लो कोई बहाना।।
आज से फुर्सत नहीं हमें, कल की क्या बात करते हो
मौसम तो बदलता रहता है,बेमतलब की बात करते हो।।
करके गुनाह दामन अपना छुड़ा लिया है
मोहब्बत में हाल अपना क्या बना लिया है
मिल कर संजोए कभी सपने, अपने प्यार के
लोगों के बहकावे में आकर घर अपना जला दिया है।।
कल का मौसम अच्छा रहेगा,मिलन की उम्मीद बाकी है
सफ़र साथ यूं ही चलता रहेगा, तुम से उम्मीद बाकी है।।

सफ़र यूं ही चलता रहा, निशान पैरों के मिलते नहीं
सुन शान रास्ते है यहां, ख़ुशी के फूल अब खिलते नहीं।।
मौसम दिल के अब बदलने लगे हैं
सुना है मोहब्बत में वह जलने लगे हैं
ख़ामोश रहे एक वक्त सांसें रोक कर
जुदाई के दर्द में वह भी पिघलने लगे हैं।।
ना कर एहसान मुझे पर, वो जाने वाले तेरा क्या भरोसा
अपनी हर खुशी भुला कर, कभी तेरे कदमों में जिस्म परोसा।।
कल से मौसम बदल गया है बदल गया कल का मौसम
दिल से दिल की बातें बयां है बड़ा खुबसूरत दिल का मौसम।।
कल का मौसम
मौसम तो कई प्रकार के होते हैं लेकिन एक दोर ऐसा भी आता है जब लोगों के हाव-भाव बदल से जाते हैं और मोहब्बत के सफर में बहकते चले जाते हैं वहां किसी को किसी की कोई खबर नहीं होती बस एक बात,एक धुन सवार होती है मोहब्बत ही मज़हब, मोहब्बत ही धर्म हो जाती है और सारे मौसम समान हो जाते हैं।
कह दो बादलों से, हमको ना छेड़े किसी बहाने से
दिल जले हैं, तेरी इबादत करते हैं एक जमाने से।।
कह दिया सब कुछ झूठ, तेरी मोहब्बत में गुनहगार हो गए
तुमसे रही पाने की उम्मीद, तेरी मोहब्बत में बीमार हो गए।।
मिला कर मिट्टी में रंग घर को अपने रंग दिया
तेरी मोहब्बत में तेरे संग,जीवन अपना रंग लिया।।
कल का मौसम अच्छा रहेगा यह मेरा अनुमान है
दिल की मलिका हो तुम, तुम ही मेरा जहान है।।
जहां मौसम की बात आती है वहां सारा नज़ारा स्पष्ट हो जाता है कि जरुर कुछ गड़बड़ी होने वाली हो बारिश बादल या घटा बरसेगी बिजली भी चमकेगी सब कुछ हो सकता है मौसम की मर्जी है।
मर्जी है मौसम की, मौसम की मर्जी है
तुम से मोहब्बत है, हमारी यह अर्जी है।।
खिल-खिलाकर फूलों से, मैं खुशबू चुरा लूं
तू कहे तो प्रेम की डोर से, मैं अपना बना लूं।।
सच कहते हैं मोहब्बत में हद से गुजर जाएंगे
जब तक जिएंगे हम तुमको टूट कर चाहेंगे।।
कल का मौसम और भी खास होने वाला हैं
तुम से उम्मीद मेरी,यार मेरा खुद में चूर मतवाला है।।
कल का मौसम तेरी बातें तेरी जुबानी
दो लफ्जों में बयां कर दूं अपनी प्रेम कहानी।।
मोहब्बत के सफर में हमसफ़र बदलते रहे हैं
ग़लती किसकी रही, ना वो समझे ना हम समझ सके।।
कल का मौसम बड़ा सुहाना और साफ है
मिटती नहीं जो जन्मों-जन्मों की प्यास है।।
कल का मौसम एक विचार है जब तक कि यह गुजर नहीं जाता
बात यह भी एक दम सच है कि यह कल कभी नहीं आता।।
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