शीशी भरी गुलाब की शायरी
कहते है शायरी करना एक अंदाज है लोग शायरी को अपने अंदाज में बयां करते है कहीं गुलाब कहीं सबनम,तो कभी शीशी भरी गुलाब की शायरी जुबां पर आ निकलती है और दिल की ख्वाहिश जुबां पर शायरी बन कर आ जाती है। यह हुनर शायरी जो घायल दिल को शायर बनाती है। चलिए शुरू करते हैं –
शीशी भरी गुलाब की शायरी
कह दो उनसे कि हमने पीना छोड़ दिया है
शीशी भरी गुलाब की हमने जीना छोड़ दिया है।।
शीशी भरी गुलाब की खुशबू कहां लाऊं
दिल मेरी याद इन्हें लेकर मैं कहां जाऊं।।
शीशी भरी गुलाब की शायर मचल गया
बेगम ने आंख मारी मियां जी लुढ़क गया।।
भर जाए जो बर्तन तेरे प्यार का
इतनी मोहब्बत कहां से लाऊं
तू कहे तो जी लूं जी भर कर
तू कहे तो क्या पल मे मर जाऊं।।
शीशी भरी गुलाब से खुशबू अब आती नहीं
एक टक्क तेरी याद जान भी जाती नहीं।।
शीशी भरी गुलाब की शायरी
शीशी भरी गुलाब की खुद को महफ़िल से जोड़ लूं
जिऊ जीभर कर तेरे साथ खुशियां सारी मैं जोड़ लूं।।
महफ़िल में आनेवाले दिनों में दिल दिवाना रहा
खबर रही किसको मेरी, दिल बेचारा नादान रहा।।
शीशी भरी गुलाब की शायर का ख्वाब है
सब कुछ मेरे दिल में नयनों में तेरी याद है।।
शीशी भरी गुलाब से खुशबू आती नहीं
दिल में बसी तेरी याद नयनों से जाती नहीं।।
कर जाऊं कबूल तेरी हर बात का मोल हो
खुदा हो तुम मेरे लिए तुम बड़े अनमोल हो।।
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शीशी में भर कर गुलाब घर की शान हो गया
तुम मिले कुछ इस कद्र दिल बेजुबान हो गया।।
महफ़िलें गुलाब की खुशबू से सजाते हैं
महफ़िल में किस्से मोहब्बत के सुनाते हैं ।।
शीशे की दुनिया चटक पटक कर चलती जाए
बैचेनी बड़ी दिल के कोने-कोने मे कही ना जाए।।
मुझे ना दोश दो शीशे सा मन मेरा
टूट ना जाए तुमसे टकरा कर ख्वाब तेरा।।
शीशी भरी गुलाब से और महक भी आती है
तेरी प्यारी प्यारी बातें दिल को मेरे भाती है।।
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