Poem in hindi on 15 August
स्वतन्त्रता दिवस कविता 15 August poem in hindi
भारत देश हमारा है
लगता कितना प्यारा है
जयहिंद हमारा नारा है
आजादी की सीमा का
कोई ना किनारा हैं
तिरंगा रहेगा सबसे ऊपर
यह वादा भी हमारा है
फिर करे न कोई
शासन हम पर
ये हिंदुस्तानी नारा हैब्रिटिश जब था भारत आया
वीर सुरवीरों को यह
बिलकुल ना भाया
कोई झांसी बन कर
कोई गांधी बन कर
आजादी का संग्राम लड़ने आया
भारत का जिगर
कश्मीर हमको भाया
जिसे छीनने को
पाक ने ज़ोर लगाया
लेकिन अब तक छीन ना पाया
भारत का जिगर
कश्मीर हमको भाया
हिमालय की गोद में खेले
नदी निर्झर और नालें
आजादी की खुशियों को
हर इंसान पालें
तनमन देश की सेवा पर लगा लें
16जमीन से अम्बर के छोर पर
ऊंचा झंडा तिरंगा लहरा कर
हम सब इसका मान बढ़ा कर
बली चढ़ जाएंगे इसकी आन पर
अपनी आजादी की शान पर
अब कोई ना जख्म खाकर
ना जिएगा कोई तड़प कर
अस्पर्शिता की भावना मिटाकर
आपसी दुश्मनी भुला कर
एक दूजे को गले लगा कर
मिल कर यह नारा लगा कर
भारत देश हमारा है।।
लेखक_राजदेव सम्राट
हिन्दी कविताओं का अपना अहम रोल है और कवियों के कटाक्ष व्यंग स्रोताओं को रोचक तथ्यों के साथ सन्देश भी देते हैं और सन्देश के माध्यम से जागरूकता का कार्यक्रम प्रगतिशील होता ही है कविताएं समय समय पर समाजिक कुरीतियों के सापेक्ष जन जागरण में अहम भूमिका निभाती है।
इसके लिए आवश्यकता है कि समाज सेवी होने चाहिए यदि यह भावना सभी देशवासियों में आ जाए तो तो बहुत सी समस्याओं का स्वत: निदान हो जाएगा और देश के विकास में तीव्रता आ जाएगी।
Poem in hindi
Poem
हम समाज सेवी बने
जन हित में कार्य करके
मन में ऐसी भावना जगा कर
हम समाज सेवी बने…
दीन दुखियों की मदद करके
पीड़ितों की सेवा करके
हम सीनें में फ़ौलाद भरके
अपने होंसले बुलन्द करके
हम समाज सेवी बनें…
कहीं भूकम्प आए गरज के
कभी बाड़ आए बरस के
वहां समाज सेवी उतर के
तन मन धन से सेवा करके
हम समाज सेवी बनें…..
वृद्धों की सेवा करके
हम उनका सहारा बनके
शुभकामनाएं उनकी लेकर
ईश्वर से प्रार्थना करके
हम समाज सेवी बनें…..
कितने सपूत जन्में इस धरती पर
जो चले गए समाज सेवा करके
कुछ सीख उनसे लेकर
उनके पद चिन्हों पर चलकर
हम समाज सेवी बनें….
( कवि – राजदेव सम्राट )
15 August poem in hindi
खण्डित नहीं होने देंगें
संसार की मजबूरी थी
एक तत्व जल था दूसरा तत्व पृथ्वी
समीप होकर भी बीच में दूरी थी
स्वत: जुदा हुए खण्डित हुए अनगिनत बार
कभी भूखण्ड कभी जल धारा
कहते है खण्डित नहीं होने देंगे…..
बदला क्रम ‘टैरिस सागर’
हिमालय पर्वत भूखण्ड बन गया
देश के कई हिस्से राज्य
और हर राज्य के किस्से अलग अलग
ना सन्तुष्ट हुए राम के राज में
एक छत्रपति सम्राट के इतिहास में
आज तो चोंचले कह-काहें बड़े
करते हैं विवाद चाहते हैं
खण्ड खण्ड इतिहास में
और कहते हैं खण्डित नहीं होने देंगें…..
आज भारत के टुकड़े हुए जा रहे है
हर कोई चाह रखता सत्ता हथियाने की
लड़ झगड़ कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर
देश के टुकड़े कर जस्न नए राज्य का मना रहे हैं
भ्रम की चादर नयनों के आगे
जाने बड़प्पन किस को दिखा रहें हैं
टकराने लगे हैं आपस में दुश्मन से
यह भूमिका अच्छे से दो भाई भी निभा रहे हैं
और कहते हैं खण्डित नहीं होने देंगें…..
यह है वहीं वीरों की धरती जहां जन्में
लक्ष्मीबाई,मंगल पाण्डेय,गांधी व आजाद से सिपाही
कहां गुमा वह जोश वो ताक़त
भरी है नफरत दिलों में खटकते हैं
आंखों में अब सगे भाई
यह मेरे भारत की तस्वीर शक्ल ना थी
मुक्त हुआ मुगलों की गुलामी से
ब्रिटिश साम्राज्य उखाड़ फेंका
खण्डित होते हुए भारत को किसने नहीं देखा
कहते है खण्डित नहीं होने देंगें भारत को…।
कवि – राजदेव सम्राट
सूचना -लेखक ने यह कविता तब लिखी थी जब भारत के नए राज्य बने थे कवि के मतानुसार विकास होना चाहिए समाज कल्याण हेतु अन्यथा शोषणकारी सरकार की कोई आवश्यकता नहीं है।
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Indipendence poem
स्वतंत्र भारत के हम नागरिक,
भारत माता को प्रणाम करें
तिरंगा हाथों में लेकर,
अपने देश का सम्मान करे
रहे मिलकर ना आपस में हम
ना कोई भेदभाव,नाहीं कभी बैर करें
हम स्वतंत्र भारत के नागरिक
भारत माता को प्रणाम करें
बढ़े आगे आगे उन्नति के मार्ग पर
देश को विकास की ओर अग्रसर करें
मिले हर नागरिक को सुख सुविधाएं
नित्य नए रोजगार प्रदान करें
हम स्वतंत्र भारत के नागरिक
भारत माता को प्रणाम करें।
जबसे भारत आज़ाद हुआ प्रति वर्ष
independence day मनाते हैं।
जग को शान्ति का संदेश सुनाते हैं हम
वसुदेवकुटम्ब पर्था चलाते हैं हम
हम स्वतंत्र भारत के नागरिक
भारत को प्रणाम करें हम।
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